
2013 में इस एक्टर–डायरेक्टर की जोड़ी ने रांझणा जैसी हिट फ़िल्म दी थी, जिसे फ़िल्म और संगीत—दोनों के लिए ज़बरदस्त सराहना मिली थी। दिलचस्प बात यह है कि तेरे इश्क़ में की शुरुआत रांझणा के एक कॉन्सेप्चुअल सीक्वल के तौर पर हुई थी, लेकिन बाद में यह विचार छोड़ दिया गया, संभवतः राइट्स की सीमाओं के कारण। अगर यह कनेक्शन बरक़रार रहता, तो फ़िल्म की ओपनिंग और भी मजबूत हो सकती थी। भले ही तेरे इश्क़ में आधिकारिक तौर पर सीक्वल नहीं है और किसी भी तरह उससे जुड़ी नहीं है, लेकिन दर्शकों के दिमाग में दोनों के बीच एक जुड़ाव हो सकता है, जो फ़िल्म की मदद कर रहा है।
फ़िल्म केवल ओपनिंग के आधार पर ही HIT बनने की क्षमता रखती है। डायरेक्टर का स्टाइल हमेशा से ‘हटके’ लव स्टोरीज़ का रहा है, जो दिल की धरती (हिंदी हार्टलैंड) में सेट होती हैं। पिछले दशक में उन्होंने ऐसी तीन सफल फ़िल्में दीं, लेकिन इसके बाद कुछ मिसफायर भी हुए, जिनमें ज़ीरो जैसी बड़ी नाकामी शामिल है। ऐसे में, फ़िल्म को HIT दर्जा दिलाने के लिए दर्शकों की मंजूरी बहुत ज़रूरी है।
इस साल अब तक तीन सरप्राइज़ हिट फ़िल्में आई हैं—जिनमें से एक तो म्यूज़िकल लव स्टोरी जॉनर की बहुत बड़ी हिट रही। इनमें से किसी भी फ़िल्म में बड़ा ‘फेस वैल्यू’ नहीं था, बल्कि केवल धमाकेदार संगीत ने उन्हें सफलता दिलाई। तेरे इश्क़ में में भले ही दो जाने-पहचाने चेहरे हैं, लेकिन वे इतने बड़े स्टार नहीं हैं कि केवल उनके नाम से भीड़ टूट पड़े—इसलिए यहां भी संगीत ही मुख्य भूमिका निभा रहा है।
हिंदी सिनेमा में संगीत का महत्व जितना कहा जाए, कम है। पिछले दशक में बॉक्स ऑफिस गिरावट का एक कारण संगीत की गुणवत्ता का गिरना भी रहा है। यह बात बेहद दिलचस्प है कि चुनौतीपूर्ण समय में इंडस्ट्री को उबारने का काम फिर से संगीत ही कर रहा है—और यह फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए एक मौका है कि वह खुद को फिर से सीखे, समझे और दिशा बदले।